Sponsor

History of india

भारत के इतिहास को अगर विश्व के इतिहास के महान अध्यायों में से एक कहा जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। इसका वर्णन करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था, ‘‘विरोधाभासों से भरा लेकिन मजबूत अदृश्य धागों से बंधा’’। भारतीय इतिहास की विशेषता है कि वो खुद को तलाशने की सतत् प्रक्रिया में लगा रहता है और लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए इसे एक बार में समझने की कोशिश करने वालों को ये मायावी लगता है। 

इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी। 

1)
  पूर्व ऐतिहासिक काल
  
पाषाण युगः

पाषाण युग 500,000 से 200,000 साल पहले शुरू हुआ था और तमिलनाडु में हाल ही में हुई खोजो में इस क्षेत्र में सबसे पहले मानव की उपस्थिति का पता चलता है। देश के उत्तर पश्चिमी हिस्से से 200,000 साल पहले के मानव द्वारा बनाए हथियार भी खोजे गए हैं। 

कांस्य युगः

भारतीय उपमहाद्वीप में कांस्य युग की शुरुआत लगभग 3,300 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के साथ हुई थी। प्राचीन भारत का एक ऐतिहासिक हिस्सा होने के अलावा यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। इस युग के लोगों ने धातु विज्ञान और हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की और तांबा, पीतल, सीसा और टिन का उत्पादन किया। 

वैदिक कालः

भारत पर हमला करने वालों में पहले आर्य थे। वे लगभग 1,500 ईसा पूर्व उत्तर से आए थे और अपने साथ मजबूत सांस्कृतिक परंपरा लेकर आए। संस्कृत उनके द्वारा बोली जाने वाली सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक थी और वेदों को लिखने में भी इसका उपयोग हुआ जो कि 12वीं ईसा पूर्व के हंै और प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं।

वेदों को मेसोपोटामिया और मिस्त्र ग्रंथों के बाद सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है। उपमहाद्वीप में वैदिक काल लगभग 1,500-500 ईसा पूर्व तक रहा और इसमें ही प्रारंभिक भारतीय समाज में हिंदू धर्म और अन्य सांस्कृतिक आयामों की नींव पड़ी। आर्यों ने पूरे उत्तर भारत में खासतौर पर गंगा के मैदानी इलाकों में वैदिक सभ्यता का प्रसार किया।
प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम

प्रागैतिहासिक कालः 400000 ई.पू.-1000 ई.पू. : यह वह समय था जब सिर्फ भोजन इकट्ठा करने वाले मानव ने आग और पहिये की खोज की। 

सिंधु घाटी सभ्यताः 2500 ई.पू.-1500 ई.पू. : इसका यह नाम सिंधु नदी से आया और यह कृषि करके उन्नत हुई। यहां के लोग प्राकृतिक संसाधनों की भी पूजा करते थे। 

महाकाव्य युगः 1000 ई.पू.-600 ई.पू. : इस कालखण्ड में वेदों का संकलन हुआ और वर्णों के भेद हुए जैसे आर्य और दास। 

हिंदू धर्म और परिवर्तनः 600 ई.पू.-322 ई.पू. : इस समय में जाति प्रथा बहुत सख्त हो गई थी और यही वह समय था जब महावीर और बुद्ध का आगमन हुआ और उन्होंने जातिवाद के खिलाफ बगावत की। इस काल में महाजनपदों का गठन हुआ और बिम्बिसार के शासन में मगध आया, अजात शत्रु, शिसुनंगा और नंदा राजवंश बने। 

मौर्य कालः 322 ई.पू.-185 ई.पू. : चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित इस साम्राज्य के तहत् पूरा उत्तर भारत था और बिंदुसारा ने इसे और बढ़ाया। इस काल में हुए कलिंग युद्ध के बाद राजा अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया।

आक्रमणः 185 ई.पू.-320 ईसवीः इस अवधि में बक्ट्रियन, पार्थियन, शक और कुषाण के आक्रमण हुए। व्यापार के लिए मध्य एशिया खुला, सोने के सिक्कों का चलन और साका युग का प्रारंभ हुआ। 

डेक्कन और दक्षिणः 65 ई.पू.-250 ईसवीः इस काल में दक्षिण भाग पर चोल, चेर और पांड्या का शासन रहा और इसी समय में अजंता एलोरा गुफाओं का निर्माण हुआ, संगम साहित्य और भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ। 

गुप्त साम्राज्यः 320 ईसवी-520 ईसवीः इस काल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की, उत्तर भारत में शास्त्रीय युग का आगमन हुआ, समुद्रगुप्त ने अपने राजवंश का विस्तार किया और चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया। इस युग में ही शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई। आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए और भक्ति पंथ भी इस समय उभरा। 

छोटे राज्यों का कालः 500 ईसवी-606 ईसवीः इस युग में हूणों के उत्तर भारत में आने से मध्य एशिया और ईरान में पलायन देखा गया। 

उत्तर में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ। 

हर्षवर्धनः 606 ई-647 ईसवीः हर्षवर्धन के शासनकाल में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेन त्सांग ने भारत की यात्रा की। हूणों के हमले से हर्षवर्धन का राज्य कई छोटे राज्यों में बँट गया। 

यह वह समय था जब डेक्कन और दक्षिण बहुत शक्तिशाली बन गए। 

दक्षिण राजवंशः 500ई-750 ईसवीः इस दौर में चालुक्य, पल्लव और पंड्या साम्राज्य पनपा और पारसी भारत आए। 

चोल साम्राज्यः 9वीं सदी ई-13वीं सदी ईसवीः विजयालस द्वारा स्थापित चोल साम्राज्य ने समुद्र नीति अपनाई।

अब मंदिर सांस्कृतिक और सामाजिक केन्द्र होने लगे और द्रविडि़यन भाषा फलीफूली। 

उत्तरी साम्राज्यः 750ई-1206 ईसवीः इस समय राष्ट्रकूट ताकतवर हुआ, प्रतिहार ने अवंति और पलस ने बंगाल पर शासन किसा। इस दौर ने राजपूत कुलों का उदय देखा। 

खजुराहो, कांचीपुरम, पुरी में मंदिरों का निर्माण हुआ और लघु चित्रकारी शुरु हुई। इस अवधि में तुर्कों का आक्रमण हुआ। 



Post a Comment

1 Comments